जय गो माता
|| ॐ करणी ||
जय गुरुदाता

धेनु देवी फाउंडेशन

'गोपाल कहे - गो पाल '

फाउंडेशन के सदस्य

साध्वी श्री निष्ठा गोपाल सरस्वती दीदी जी - मार्गदर्शक
राधावत्स - {Director}
इंद्रजीत सिंह हाड़ा - (Trustee)
लव कुमार वैष्णव - (Trustee)
जितेंद्र सिंह राजपूत - (Trustee)

हमारे बारे में संक्षिप्त में जानकारी

मध्यप्रदेश के सालरिया, आगर मालवा में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संचालित कामधेनु गौ अभयारण्य में परम पूज्य गुरुदेव भगवान के मुखारविंद से एक वर्षीय गौ आराधना महामहोत्सव के आयोजन के दौरान एक बैठक में गौमाता की सेवा को किस प्रकार विस्तार प्रदान किया जाए…इस विषय पर  विचार किया गया, तब मन में ऐसा भाव जाग्रत हुआ कि बीमार, दुर्घटनाग्रस्त, गौमाताओं की सेवा पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
अधिकांशतः ऐसा देखा व सुना जाता है कि कई बार ग्वालों के अभाव में या चिकित्सक के अभाव में बीमार एवं दुर्घटनाग्रस्त गौमाता अत्यंत पीड़ा अनुभव करती हैं।
कई बार अप्रशिक्षित ग्वालों के कारण बीमार गौवंश की विधिवत सेवा नहीं हो पाती हैं, जिससे गौमाताओं को अत्यधिक कष्ट होता है और कई बार इस पीड़ा के चलते गौमाता गोलोक पधार जाती हैं।
इस बात को ध्यान में रखते हुए परम पूज्य गुरुदेव भगवान के आदेश पर एवं उनके परम कृपामयी  मार्गदर्शन में “धेनु देवी फाउंडेशन” की नींव रखी गयी।

धेनु देवी फाउंडेशन का विजन

Vision of Foundation:-
प्राचीन काल से ही भारत में गोधन को मुख्य धन मानते आए हैं और हर प्रकार से गौरक्षा, गौसेवा एवं गौपालन पर ज़ोर दिया जाता रहा है। हमारे हिन्दू शास्त्रों, वेदों में गौरक्षा, गौ महिमा, गौ पालन आदि के प्रसंग भी अधिकाधिक मिलते हैं। रामायण, महाभारत, भगवद्गीता में भी गाय का किसी न किसी रूप में उल्लेख मिलता है। गाय, भगवान श्री कृष्ण को अतिप्रिय है। गौ पृथ्वी का प्रतीक है। गौमाता में सभी देवी-देवता विद्यमान रहते हैं। सभी वेद भी गौमाता में प्रतिष्ठित हैं। 
[वराह पुराण, २०४-२०]
① इदमेवापरम् चैव चित्रगुप्तस्य भाषितम् ।
सर्वदेवमया देव्यः सर्ववेदमयास्तथा।। 
अर्थ :- (सूत जी महाराज शौनकादिक ऋषियों को कथा सुना रहे हैं)
(भगवान वाराह, माता पृथ्वी को कथा सुना रहे हैं)
चित्रगुप्त जी कहते हैं कि यह गौमाता स्वरूप देवीयाँ सर्वदेवमय और सर्ववदमय है।

जो गौओं की सेवा करता है और सब प्रकार से उनका अनुगमन करता है, उस पर संतुष्ट होकर गौ माता उसे अत्यन्त दुर्लभ वर प्रदान करती हैं। जो मनुष्य जितेन्द्रिय और प्रसन्नचित्त होकर नित्य गौओं की सेवा करता है, वह समृद्धि का भागी होता है। गायों की सेवा से मनुष्य निर्मल और दुःख तथा शोकरहित श्रेष्ठ लोकों को प्राप्त करता है।
जो कोई भक्त भक्ति भाव से गो सेवा करता हैं, वो सब पापों से रहित हो जाया करते हैं।
वेद भगवान्‌ का निर्देश है कि यदि किसी को इस माया-राज्य में सब प्रकार का वैभव प्राप्त करना है, तो गौमाता की प्रमुख रूप से सेवा करे।
अतएव मानवों को गौ माता की सेवा करने के वेद भगवान्‌ का आदेश हुआ। जो व्यक्ति सब प्रकार से अपना कल्याण चाहता हो, वह वेद भगवान्‌ के आदेश का पालन करें।
अतः वेद भगवान के आदेश की पालना करते हुए गो से ही समस्त जगत का कल्याण संभव हैं, इस भाव को ध्यान में रखकर समस्त विश्व को गो-सेवा का लाभ मिले तथा प्रशिक्षित ग्वालों और श्रद्धावान चिकित्सकों के अभाव में गोमाता दुखी नहीं हो। ग्वालों का शोषण नहीं हो उचित वेतन और सुविधाएं उपलब्ध हो, इसके लिए धेनु देवी फाउंडेशन की स्थापना हुई है। 

बलरामजी और श्री कृष्णजी ग्वालों के साथ गोमाता को भी चराते थे। सम्पूर्ण जगत का पालन करने वाले राम कृष्ण जी स्वयं गोपाल बन गये। हम गौएं पालेगी, तो हम जगत को पाल सकेगें, इसलिए ग्वाल बन गए।